ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातक तृतीय खंड के सभी संकायों के छात्र-छात्राओं के लिए विगत एक दशक से उपेक्षित अनिवार्य विषय ‘सामान्य एवं पर्यावरण अध्ययन के ऑनलाइन वर्ग का आरंभ प्रति कुलपति प्रो. डॉली सिन्हा ने बुधवार को किया। इस दौरान उन्होंने भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी : प्रमुख वैज्ञानिक विषय पर विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्रो. सिन्हा ने कहा कि भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की समृद्ध विरासत रही है। प्राचीन भारत में धर्म और विज्ञान में घनिष्ठ संबंध था। खगोल शास्त्र और स्थापत्य में भारत प्राचीन काल में अग्रणी था। रामेश्वरम मंदिर, मीनाक्षी मंदिर, कुतुबमीनार का लौह पिलर भारतकी उन्नत प्रौद्योगिकी के प्रमाण हैं। धातु विद्या में भारत की महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं। आर्यभट्ट ने खगोल विद्या से अवगत कराया। प्रो. सिन्हा ने आगे कहा कि भारत में विदेशियों के शासनकाल में विज्ञान का विकवरुद्ध रहा। स्वाधीनता प्राप्ति के बाद पं. नेहरू ने वैज्ञानिक चेतना पर जोर दिया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अंतर है। विज्ञान प्रौद्योगिकी से आगे जाता है। प्रो. सिन्हा ने भारतीय वैज्ञानिकों में प्रफुल्ल चंद्र राय, मेघनाथ साहा, सत्येंद्र नाथ बोस, होमी जहांगीर भाभा, सीबी रमण आदि का उल्लेख करते हुए जगदीश चंद्र बोस के अवदानों की विशेष चर्चा की। व्याख्यान के पूर्व समाज विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. गोपी रमण प्रसाद सिंह ने ऑनलाइन व्याख्यान के वैशिष्ट्य की चर्चा की। विकास पदाधिकारी प्रो. केके साहु ने वर्ग प्रबंधन किया तथा गणेश पासवान ने तकनीकी सहयोग दिया। इस अवसर पर प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह एवं डॉ. सरोज चौधरी की विशेष उपस्थिति थी। मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर एवं बेगूसराय के छात्र-छात्राएं गूगल मीट एवं यू ट्यूब माध्यम से वर्ग से जुड़े रहे। विदित हो कि विश्वविद्यालय ने स्नातकोत्तर प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं के लिए सर्वथा उपेक्षित अनिवार्य विषय एईसीसी के लिए ऑनलाइन वर्गों की व्यवस्था की। उसी क्रम में स्नातक तृतीय खंड के लिए अनिवार्य विषय सामान्य एवं पर्यावरण अध्ययन के लिए ऑनलाइन वर्गों की व्यवस्था की जा रही है। विश्वविद्यालय के इस प्रयास की मुक्त कंठ से प्रशंसा की जा रही है।